कहानी ज़यादा पुराणी नहीं

एक समय की बात है मैं जा रहा था एक रास्ते पर अपनी गाड़ी पर, रास्ते में क्या देखता हूँ की एक देवी का मंदिर था वह देवी अपने मंदिर के बहार की बिजली को ठीक करवा रही थी, जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा मेरी गाड़ी की रफ़्तार और बढ़ गयी , शायद उसे ऐसा लगा की क्यूं न इसी से ऐसे काम करवा लिए जाऐ परन्तु मेरे आत्मा नहीं मानी, मेरा मानना यह था की अब जब ईश्वर ने मुझे कंपनियां दी है तो मैं अपने फ़र्ज़ से परे हट कर अगर ऐसा काम करूँ गा तो मेरे धरम में चाहे कुछ बढ़त हो और पैसा भी अधिक मिले पर मैं कृष्णा जी आगे झूठला जाऊँ गा जिन्हों ने कर्म को ज़्यादा बतलाया है 🙏

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Warm Regards

Mudit Gupta


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